धनत्रयोदशी

धनत्रयोदशी(धनतेरस)माहात्म्य...



महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान “ट्रस्ट”के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है कि हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि में समुन्द्र मंथन के समय आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर निकले थे,इस लिए इस तिथि को धन्वंतरी जयन्ती भी कहते है ! आज के दिन धन्वंतरी की पूजा करने से पूरे वर्ष भर आरोग्यता बनी रहती है ! धनत्रयोदशी अर्थात धनतेरस के दिन बन रहे विशेष योग, शुक्रवार का दिन होना,पूर्वा०फाल्गुनी नक्षत्र दिवा 09:10  मिनट पश्चात उ०फाल्गुनी नक्षत्र भोग करेगी व सिद्धि योग मिल रहा है अतः इस वार की धन त्रयोदशी अत्यन्त ही शुभ मानी जा रही है ! आज के दिन कुबेर,गणेश व लक्ष्मी जी के पूजन का विधान हमारे शास्त्रों में बताया गया है ! व्यापारी वर्ग को चाहिए की धन त्रयोदशी के दिन ही अपने व्यापारिक स्थल पर स्थिर लग्न व गोधूलि बेला वृष लग्न में पूजन करें जो सायं 06:33 से 08:30 तक   व रात्रि काल सिंह लग्न रात्रि 01:01 से 03:15. बजे तक है ! इस लग्न में गणेश लक्ष्मी व कुबेर जी का पूजन करें जिससे पूरे वर्ष भर व्यापार में बढोत्तरी होती रहती है व लक्ष्मी गणेश व कुबेर जी की कृपा बनी रहती है ! धर्मशास्त्रों के अनुसार धन त्रयोदशी तिथि में नवीन वर्तन,चाँदी,सोना इत्यादि खरीदना चाहिए ऐसा माना जाता है की इस दिन धातु के वर्तन या अन्य वस्तुएँ खरीदना शुभ होता है !


पंडित राकेश पाण्डेय


ज्योतिषाचार्य