भागवत कथा में छठवां दिन

 


आज हम परमात्मा को केवल मानते हैं, उसे जानते नहीं है : साध्वी आस्था भारती


 


 


 


गोरखपुर।चंपा देवी पार्क में चल रही भागवत कथा में छठवें दिन कथा व्यास साध्वी आस्था भारती ने 'कृष्ण रुक्मिणी विवाह' और 'वृंदावन वासियों द्वारा कृष्ण स्मरण प्रसंग' का मनोहारी वर्णन किया। साध्वी ने कहा कि मुश्किल से मुश्किल घड़ी में भी भक्त घबराता नहीं है, धैर्य
नहीं छोड़ता है। क्योंकि भक्त चिंता नहीं, सदा चिंतन करता है। जो ईश्वर का चिंतन करता है, भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते हैं। भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भागवत गीता में कहते हैं कि भक्त मुझे अनन्य भाव से भेजते हैं, उसका ख्याल मैं स्वयं करता हूं। अनन्य भाव अर्थात प्रभु से
निस्वार्थ प्रेम और प्रेम की सबसे पहली शर्त क्या है ? इसी संबंध में गोस्वामी जी रामचरितमानस में कहते हैं कि 'जाने बिन न होई परतीती, बिन परतीती होई नहि प्रीति' अर्थात प्रेम की सबसे पहली शर्त है, ईश्वर को जानना, अपने अंदर उस परब्रह्म परमेश्वर का
अनुभव करना। आज हम परमात्मा को केवल मानते हैं, उसे जानते नहीं है। इसलिए न तो हमारा
विश्वास उन भक्तों की तरह दृढ़ हो पाता है और न परमात्मा से प्रगाढ़ प्रेम हो पाता है।
इसलिए यदि हम चाहते हैं कि जिस प्रकार प्रभु ने प्रह्लाद की रक्षा की, उसी प्रकार
हमारी भी रक्षा हो तो हमें भी नारद जी की तरह ज्ञानी महापुरुष की शरण में जाकर उनकी
कृपा से ईश्वर की तत्व स्वरूप का दर्शन करना होगा। वास्तविकता में यह पावन कथा आपको
मानने से जानने की यात्रा पर ले जाने आई है। यही यात्रा मीराबाई, संत नामदेव एवं स्वामी
विवेकानंद ने पूरी की थी। इस अवसर मुख्य यजमान व्यापारी कल्याण बोर्ड के प्रदेश उपाध्यक्ष
पुष्पदंत जैन, तुलस्यान फार्मा के निदेशक राजेश कुमार तुलस्यान, राम नक्षत्र सिंह ट्रेडर्स के
महेंद्र सिंह, विजय अग्रवाल, अरुण कुमार मिश्रा, स्वामी नरेंद्रानंद, स्वामी सुमेधानंद,
स्वामी अर्जुनानंद, अशोक अग्रवाल, नंदू मिश्रा, विकास जालान, जगरनाथ बैठा, मिथलेश
शर्मा, दिनेश चौरसिया, अच्छेलाल गुप्ता, मुन्ना यादव, प्रभा पांडेय आदि मौजूद रहे।


::: कन्या भ्रूण हत्या पर जताई चिंता, दिलाया संकल्प
साध्वी ने कन्या भ्रूण हत्या जिनके कारण समाज में नारी की संख्याएं समाज में उसका स्थान और
भी कम से कम होता जा रहा है, उसकी चर्चा भी की। साध्वी ने मंच के माध्यम से यह संकल्प
भी दिलाते हुए कहा कि माता जानकी की जन्मभूमि पर यह शपथ लें कि हम सभी स्वयं के जीवन
से भी संकीर्ण मानसिकता को दूर करेंगे और इस विषय पर समाज में भी जागरूकता लाएंगे।
साध्वी ने कहा कि यह शरीर एक रथ है और मन उसकी लगाम है। बुद्धि रूपी सारथी इसी
लगाम से रथ को हांक रहा है। इस रथ का मालिक है हमारी आत्मा। मालिक यानी हमारी
आत्मा सो रही है। उसे ही जगाने की जरूरत है ताकि वह निर्देश दे सके कि यहां नहीं, यहां
चलो। तब जाकर वह रथ गलत दिशा से सही दिशा की ओर बढ़ पाएगा। आज आशुतोष महाराज
की कृपा तले संस्थान द्वारा रूढ़िवादी मानसिकता विज्ञान द्वारा बदलने का सफल प्रयास
किया जा रहा है। साध्वी ने मंच के माध्यम से यह संकल्प भी दिलाया कि हम सभी स्वयं के
जीवन से भी संकीर्ण मानसिकता को दूर करेंगे और इस विषय पर समाज में भी और इस विषय पर
समाज में भी जागरूकता लाएंगे।