श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ - द्वितीय दिवस
"मानव और प्रकृति के बीच पुनः सामंजस्य स्थापित करना होगा।"
गोरखपुर। श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ' के द्वितीय दिवस पर भगवान की अनन्त लीलाओं में छिपे गूढ आध्यात्मिक रहस्यों
को कथा प्रसंगों के माध्यम से उजागर करते हुए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री
आणतोष महाराज जी' की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी सुश्री आस्था भारती जी ने परीक्षित और ।
पाण्डवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुन्दर ढंग से दर्शाया।
परीक्षित कलयग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी
के पास जाते हैं। परीक्षित, अल्फ्रेड नोबेल आदि मृत्यु की परछाई को देखकर जाग गए। अपनी मृत्यु को सजाने
व जीवन को सफल सुंदर बनाने में जुट गए। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है जो जीवन को जीते हुए भी
परेशानियों का उत्तम समाधान देती है और जीवन के बाद भी मोक्ष को सुनिश्चित करती है। परमात्मा की भक्ति
रूपी सुरक्षा कवच के प्रति हम कब जागरूक होंगे! मानव हर सुबह नींद से जागता है लेकिन अपने लक्ष्य के
प्रति अज्ञानता की नींद से वह कब जागेगा!
द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्यदेव की उपासना कर अक्षयपात्र की प्राप्ति की। हमारे पूर्वजों ने सदैव
पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया और बदले में प्रकृति ने मानव का रक्षण किया। लेकिन आज विकास की
अंधी दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के फलस्वरूप संपूर्ण धरा, समस्त नदियाँ विनाश के कगार पर आ
खड़ी हुई हैं। इस बढ़ते प्राकृतिक असंतुलन को नियंत्रित करने व मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य पुनः
स्थापित कर पर्यावरण के संवर्धन हेतु संस्थान द्वारा 'संरक्षण कार्यक्रम' को संचालित किया जा रहा है। इसके
तहत विभिन्न परियोजनाएं लागू की गई जैसे- पिथौरागढ़ के पहाड़ी इलाकों में Water And Life परियोजना!
स्वच्छता एवं वृक्षारोपण अभियान! झीलों व नदियों की सफाई का अभियान! जल व ऊर्जा संरक्षण! तुलसी रोपण
अभियान! एक अच्छी आदत! संस्थान का यह मानना है कि जब मनुष्य आत्मिक रूप से जागृत हो जाता है
तो प्रकृति का दोहन नहीं, उसका पूजन करता है और ये सब जागृत आत्माएं फिर ध्यान के द्वारा प्रकृति
को अपनी दिव्य तरंगों से संपोषित करती हैं।
“एक अच्छी आदत" जैसे प्रेरणा भरे गीत को गुनगुनाते हुए उन्होंने मानव और प्रकृति के बीच पुनः
सामंजस्य स्थापित करने की बात की।