एडीएम प्रशासन देवरिया की कलम से कोरोना पर एक लेख "कोरोना काले"
'तीन दिन की बारात बनाम 14 दिन का क़ोरोंटाइन'
इक्कीस दिनी लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद जो मजदूर भाई लोग दिल्ली मुम्बई और पंजाब के महानगरों से वापस लौटे और गाँव शहर में अपने घर पहुंचने के पहले जो लोग एहतियातन ससम्मान स्कूल कालेजों में रखे गए हैं उनके भाव कुछ बढे हुए हैं। ब्रेकफास्ट लंच डिनर मस्त मिल रहा है। सुबह शाम चाय बिस्किट अलग से। उस पर आज एक जगह लजीज तहडी बनायी गयी तो अपने गांव घर में मेहमानी भोग रहे ये भाई लोग खाने से मना कर दिए । दाल रोटी सब्जी चावल फुल्ल भोजन की फरमाइश के साथ धमकी ये मिल रही कि नहीं खिलाओगे तो घर भाग जायेंगे। भागने नहीं दोगे तो dm साहब से शिकायत करेंगे। प्रधान, विकास खंड अधिकारी और नगर क्षेत्र के अधिशासी अधिकारी हलकान परेशान किसी तरह दूल्हे के मामा और फूफा माफिक उन्हें घरातियों की तरह मनाने में लगे हैं।
उदारीकृत अर्थव्यस्था आने के पहले लोगों के पास समय ही समय था। लोग तीन दिन की बारात करते थे। सुबह दोपहर शाम अलग अलग तरह का व्यंजन मनोरंजन करके भारी आनंद लूटते थे। नाच, नौटँकी, बैंड बाजा, बिरहा सबका आनंद किसी स्कूल, कालेज या खलिहान के शामियाने में पुरे तीन दिन। मामा फूफा को नहाने के तेल साबुन कपडे तौलिया अलग से। इतनी आवभगत के बाद भी इन दो जीवों में से कोई न कोई लड़की वालो पर नाराज होकर मनोरंजन का अलहदा माहौल क्रिएट करता । लोग इन बातों को भूल चले थे। 90 के बाद वाली पीढ़ी तो वंचित ही रही हैं उस जमाने के आनन्द से । क्योंकि सबको परदेश जाना है पैसा कमाना है पढाई करनी है बहुत आगे जाना है। इस आगे जाने की धधक में समय कम पड गया।
समय अब भी है लेकिन एक अजीब महामारी फैली लोगों में ये कहने कि "समय किसके पास है??" कोरोना महाप्रभू ने अपने डर से सबको अथाह समय दिया है। कोरोंटिन होम में रहने का मौका जिन लोगों को मिला है वे 14 दिन के मेहमान हो गए हैं और नाराज भी रहे हैं । पूरी बारात वाली फीलिंग आ रही है। आदमी को जब घर से बाहर रहकर बिना कुछ किये खाने पीने को मिलता है तो साला मेहमान वाली फीलिंग आती है। कोरोना काले...
राकेश पटेल
ए. डी. एम प्रशासन (देवरिया)