मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने ईद पर जरूरतमंदों की मदद करने के साथ-साथ लाकडाउन का पालन करते हुए ईद मनाने की अपील की


वर्तमान समय में देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कोरोना नामक वैश्विक महामारी अपने पैर पसार चुकी है। हर नागरिक इस महामारी से घबराया हुआ है लोग अपने घरों में कैद हैं और बाहर निकलने में असमर्थ हैं। ऐसी ही परिस्थितियों में मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार यानी ईद भी आ चुका है ऐसी स्थिति को देखते हुए मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आम लोगों से अपील की है की इस ईद पर जरूरतमंदों की मदद करते हुए लाकडाउन का पूर्ण रुप से पालन करें।
गोरखपुर शहर के सुप्रसिद्ध धर्मगुरु हाफिज व कारी मोहम्मद जिकरुल्लाह ने कहा कि जो वैश्विक महामारी की स्थिति है उसको देखते हुए मुसलमानों को चाहिए कि वह अपने-अपने घरों में 2 या 4 रकात (मुस्तहब) नफील नमाज़ शुकराना अकेले-अकेले पढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए ईद मनाने के लिए नए कपड़ों की जरूरत नहीं है जो कपड़ा आपके पास बेहतर हो वह पहन कर ईद मनाई। साथ ही लोगों से गुजारिश करते हुए कहा कि ईद की नमाज पढ़ने से पहले अपनी जान माल का खैरात और जकात निकालकर की ईद की नमाज अदा करें। और जिन लोगों को अल्लाह ताला ने (साहिबे निसाब) मालदार बनाया है उनको चाहिए कि गरीबों, मजदूरों और असहायो की मदद करते हुए मदरसों के बच्चों के लिए भी जकात और खैरात के पैसे को निकालकर मदरसों तक पहुंचा कर उनका ज्यादा से ज्यादा सहयोग करें।



राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ भारत के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ) शमशाद आलम ने ईद के मुबारक मौके पर गरीबों के घर घर जाकर ईद की किट प्रदान की और लाकडाउन का पालन करने की अपील की। साथ ही साथ कहा कि लाख डाउन की समय सीमा 31 मई तक के लिए बड़ा दिया गया है। इसलिए घर पर रहकर ईद की नमाज अदा करें साथ ही साथ ईद की खुशियां अपने अपने घरों में मनाए ना किसी के घर जाएं और ना ही किसी को अपने घर बुलाये। जीत की खुशी में लोगों से गले मिले और मुसाफा (हाथ मिलाने)करने से भी बचें। मोबाइल के जरिए ही दोस्तों रिश्तेदारों और मिलने वालों को ईद की मुबारकबाद दे। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि ईद का त्यौहार सबको साथ लेकर चलने का संदेश देता है,इसलिए चाहिए कि ऐसी स्थिति में इस ईद पर जरूरतमंदों की मदद करें ताकि वह भी त्यौहार मना सकें।
समाजसेवी व शायर मिन्नत गोरखपुरी ने कहा की कोरोना वैश्विक महामारी के चलते लाकडाउन के निर्देशों पर अमल करते हुए ईदगाह या जामा मस्जिद वगैरह में नमाज पढ़ने पर पाबंदी होने की सूरत में ईद उल फितर यानी ईद की नमाज घर पर ही सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर नमाज अदा करें और सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन करें और शासन प्रशासन को सहयोग प्रदान करें। वर्तमान स्थिति में किसी भी किस्म की भीड़ को किसी भी जगह पर एकत्रित करने की कोई जरूरत नहीं है। इस बार मुस्लिम समाज के लोगों से ईद के त्यौहार पर ज्यादा फिजूलखर्ची ना करने की अपील करते हुए मिन्नत गोरखपुरी ने कहा कि इस बार ईद के त्यौहार पर असहाय व जरूरतमंद लोगों की मदद करें ताकि वह भी अपना त्यौहार अच्छे से मना सकें।
हाफिज मोहम्मद रिफातुल्लाह ने जनता से अपील करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के बिगड़ते हालातो को देखते हुए इस बार ईद का त्यौहार घरों में रहकर मनाये, ईद प्रत्येक वर्ष आती है और हर कोई बड़े ही हर्षउल्लास के साथ मनाता है। लेकिन इस वर्ष ईद को मनाने के साथ-साथ देश को भी बचाना है इसलिए लाक डाउन का पालन कर घरों में ही रहकर ईद का त्यौहार मनाये। हाफिज जी ने कहा कि पूरे मुल्क के अंदर यह बीमारी जिस तरह से फैल रही है इसलिए हमें अल्लाह ताला से अपने गुनाहों की तौबा करनी चाहिए और इस बीमारी के लिए अल्लाह ताला से पूरे मुल्क के लिए दुआ करें ताकि अल्लाह ताला इस बीमारी को पूरे मुल्क से जल्द से जल्द खत्म कर दे।