नया हिंदुस्तान



पीठ दिखाकर फिर भागा है, दुश्मन तो गलवांन से,
फिर खाई है चोट बराबर,मेरे हिंदुस्तान से,
उसने मारा बीस तो हमने, पैतालीस को ढेर किया,
हमने लड़ना सीख लिया है,,तुम जैसे शैतान से,
फिर खाई है चोट बराबर ,मेरे हिंदुस्तान से,


बासठ की जो बात है करता, उसको कुछ भी भान नही,
भारत कितना बदल चुका है, उसको कुछ भी ज्ञान नही,
अब कोई भी आंख दिखाए, जाएगा वह जान से,
फिर खाई है चोट बराबर,मेरे हिंदुस्तान से,



 तब तब खाई चोट है हमने, जब  बंधे रहे संस्कारों से,
अब तो होगा निर्णय केवल, भारत के हथियारों से,
दुश्मन भी अब कांप रहा है, हिन्द के जवान से
फिर खाई है चोट बराबर,मेरे हिंदुस्तान से,


अभी नही सम्भला दुश्मन तो,युद्व बहुत भीषण होगा,
उसकी धरती में ही घुसकर, रक्तयुक्त अब रण होगा,
एक एक सैनिक काँपेगा,मेरे हर जवान से,
फिर खाई है चोट बराबर, मेरे हिंदुस्तान से,



शान तिरंगे की खातिर हम,कुछ भी तो कर जाएंगे,
जिसने भी अब आंख दिखाई, उसका लहू बहाएंगे,
हम समझौता नही करेंगे,,भारत के स्वाभिमान से,
फिर खाई है चोट बराबर, मेरे हिंदुस्तान से,


हमने शांति दिया दुनिया को, उसने हमको युद्ध दिया,
उसने पीठ में छुरा घोंपा,हमने उनको बुद्ध दिया,
अब जाकर टकराये हो तुम,छप्पन इंच के सीने से,
फिर खाई है चोट बराबर,मेरे हिंदुस्तान से,


खाते हैं हम कसम देश की, देश नही झुकने देंगे,
आये कुछ भी संकट इस पर, देश नही रुकने देंगे,
सिंह गर्जना से जो टकराये, जाएगा वो जान से,
फिर खाई है चोट बराबर मेरे हिंदुस्तान से,



   -डॉ अरुण कुमार श्रीवास्तव,
             प्राचार्य,
श्री मुरलीधर भागवत लाल महाविद्यालय, मथौली बाजार जनपद-कुशीनगर